Jul 26, 10:53 pm
अल्मोड़ा/ गरमपानी: कुमाऊं की 'लाइफ लाइन' को महफूज रखने में प्रशासन व एनएच अफसर भारी चूक कर गए। सितंबर की भीषण आपदा के बाद एक वर्ष नौ माह का वक्त बस दावों और रणनीति तय करने में ही जाया कर दिया गया। बेशक इस अवधि में 20 किमी पर सुरक्षित सफर के लिए 14.75 करोड़, जबकि अकेले डेंजर जोन जौरासी में खतरा टालने को 33 लाख खर्च हुए। पर नतीजा हाईवे का वजूद फिर खतरे में।
दरअसल, एनएच व जिला प्रशासन 'ऑपरेशन जौरासी' के बाद निश्चिंत हो गया था। दावा किया गया कि अब अल्मोड़ा-हल्द्वानी राजमार्ग पर सफर निर्बाध व महफूज रहेगा। इसी मुगालते में 19 माह का सुनहरा मौका गंवाया गया। इस अवधि में सुरक्षात्मक कार्यो में तेजी तो दूर कोसी में गिरे कई टन वजनी बोल्डर तक नहीं हटाए जा सके। हालांकि 'जागरण' ने डेंजर जोनों से घिरे हाईवे को दुरुस्त करने के लिए बार-बार खबरों के जरिए चेताया, लेकिन पग-पग पर चूक से अफसरान बाज नहीं आए। हालांकि क्वारब से छड़ा तक भूस्खलन व अन्य खतरे टालने को 14.75 करोड़ की भारीभरकम रकम खर्च की गई। मगर सुरक्षात्मक कार्यो की गुणवत्ता हालिया मॉनसून की पहली ही वर्षा में धुल गई। हैरत की बात है अकेले ऑपरेशन जौरासी पर 10 लाख जबकि सेफ्टी ब्लॉक, दीवार व चेकडैम के लिए 23 लाख का बजट बहाया गया। मगर कार्य न समय पर हुए न गुणवत्ता की ही परवाह की गई। परिणाम बरसात तेज होते ही भूस्खलन प्रभावित पहाड़ियां फिर कहर बरपाने पर आमादा हैं तो सुरक्षा दीवार व ब्लॉक खुद की सेफ्टी मांग रही हैं।
======पैकेज=====
'ऑपरेशन' में मददगार रैंप बने घातक
जिन रैंपों के सहारे पोकलैंड मशीन ने ऑपरेशन जौरासी को कामयाब किया, वहीं अब घातक बन गई हैं। अतिसंवेदनशील पहाड़ी को काटकर बनाए गए रैंपों को मजबूत बनाने में भी एनएच प्रशासन लापरवाही कर गया। बरसात में सीढ़ीदार खेतनुमा शक्ल देकर तैयार किए गए रैंप कहर न ढा दें, इसके लिए वृहद पौधरोपण की योजना बनी। भूगर्भ विज्ञानियों ने बरसती पानी की निकासी को पक्की नाली व सेफ्टी वॉल बनाने की नसीहत दी थी। मगर अफसर यहां भी चूक कर गए। अब ऑपरेशन में मददगार यही रैंप बरसात तेज होते ही हाईवे के लिए नई मुसीबत बन गए हैं। कमजोर पहाड़ी पर बने यह कच्चे रास्ते अब मलबे के रूप में राजमार्ग की ओर धसक रहे हैं।
======इंसेट====
कोसी उफनाई तो नहीं बचेगा हाईवे
समय रहते कोसी नदी पर क्रोनिक जोन से ढहाए गए बोल्डर नहीं हटाए गए। नतीजतन पहाड़ों में वर्षा से नदी का जल स्तर बढ़ते ही डैम बन रहे हैं। गुरुवार को डेंजर जोन से गिरे बोल्डर व उनके टुकड़े हाईवे से टकराने के बाद नदी में ही समाए। इससे बरसात बेकाबू हुई तो कोसी के थपेड़ों से हाईवे को बचाना टेढ़ी खीर साबित होगा।
Jul 23, 10:22 pm
जाका, रानीखेत: यहां गैस सर्विस कार्यालय इस बीच गैस उपभोक्ताओं से घिरा है। सोमवार को भी सैकड़ों की तादाद में यहां लोग कतारबद्ध दिखे और बारी के लिए होड़ लगी रही। यह नजारा रसोई गैस लेने और गैस संयोजन के सत्यापन को लेकर बना है। जिससे गैस सर्विस व उपभोक्ता दोनों ही भारी फजीहत झेल रहे हैं।
मालूम हो कि कई दिनों से रसोई गैस कनेक्शनों के सत्यापन का काम चल रहा है। गैस सर्विस द्वारा पिछले दिनों सत्यापन कराने को जरूरी बताने के बाद उपभोक्ता सत्यापन को उमड़ पड़े। इसी क्रम में सोमवार को गैस सर्विस कार्यालय उपभोक्ताओं से घिरा रहा। एक ओर सत्यापन के लिए बेहद लंबी कतार रही, तो वहीं दूसरी ओर टोटे के चलते रसोई गैस भराने के लिए सिलेंडरों के साथ लोग लंबी कतार में खड़े रहे। सत्यापन हो या गैस लेने को की बात हो, दोनों ओर उपभोक्ताओं में होड़ मची रही। इससे गैस सर्विस के कर्मचारी भी बेहद परेशान हैं और कार्य बोझ बढ़ने से देर तक उन्हें कार्य करना पड़ रहा है। वहीं उपभोक्ता घंटों तक इंतजार के परेशान हैं। मालूम हो कि यहां कुछ दिनों से रसोई गैस का भी अभाव बना है। लोग एक अदद गैस सिलेंडर के लिए भटक रहे हैं। पिछले दिनों कुछ दिनों तक गैस भी नहीं पहुंची। सोमवार को गैस की खेप पहुंचने की भनक लगते ही लोग खाली सिलेंडरों के साथ कतारबद्ध ढंग से खड़े हो गए। घंटों तक यह भीड़ लगी रही। यह भीड़ भारी फजीहत को इंगित कर रही थी।
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