चौखुटिया, जाका: तहसील के विभिन्न हिस्सों में बंदरों का उत्पात थमने का नाम नहीं ले रहा है। वर्ष दर वर्ष इनकी बढ़ती तादात काश्तकारों के लिये मुसीबत बनती जा रही है। बंदरों ने गांवों में बागवानी व साग-सब्जी उत्पादन चौपट कर दिया है। वहीं आये दिन लोग अपने नौनिहालों की सुरक्षा को लेकर भी चिंतित हैं। काश्तकारों ने इनसे निजात दिलाने की दिशा में ठोस कदम उठाने की मांग की है।
इन दिनों यहां गेवाड़ घाटी के साथ-साथ तमाम ग्रामीण क्षेत्रों में बागवानी के साथ ही साग-सब्जी उत्पादन हो रहा है। कई हिस्सों में आलू की फसल तैयार है, लेकिन बंदर झुंड के रूप में पहुंच कर सब कुछ तहस-नहस कर दे रहे हैं। साल भर की कमाई पर पानी फिरता देख काश्तकार खासे चिंतित व व्यथित हैं। प्रतिवर्ष बंदरों के नुकसान से परेशान कई क्षेत्रों में तो लोगों ने तो सब्जी उत्पादन करना ही बंद कर दिया है। इससे उन्हें आर्थिक नुकसान हो रहा है।
कहीं-कहीं तो बंदर इतने निडर हो चुके हैं कि भगाने पर लोगों पर झपट जा रहे हैं। क्षेत्र में कई महिलाओं पर भी बंदर वार भी कर चुके हैं। साथ ही इनसे बच्चों के लिये खतरा बना है। ग्रामीण बताते हैं पूर्व में बंदरों की संख्या बहुत कम थी, जो जंगलों तक ही सीमित रहते थे, लेकिन बीते कुछ सालों से बाहर से वाहनों में भरकर बंदरों को पहाड़ में छोड़ दिये जाने से इनकी संख्या असंख्य हो गई है। जो कस्बों व बस्तियों में डेरा जमाए हैं। लोगों का यह भी कहना है कि जंगली जानवरों के बढ़ते नुकसान से गांवों से लोग पलायन को मजबूर हैं।
रानीखेत में बढ़ी पेयजल किल्लत
रानीखेत, जागरण कार्यालय : पानी की समस्या सिर चढ़ कर बोलने लगी है। नगर में कम आपूर्ति से लोग यत्र-तत्र जल स्रोतों व हैंडपंपों की शरण लेने लग हैं। जिस कारण जल स्रोतों व हैंडपंपों पर भीड़ लगनी शुरू हो गई है।
मालूम हो कि नगर को पानी पिलाने वाली देवीढूंगा पेयजल योजना के जल स्रोत में पानी की कमी हो गई। इस स्रोत का जल स्तर 50 प्रतिशत घटने से समस्या उत्पन्न हुई है। छावनी परिषद ने कम उपलब्धता के अनुसार ही पेयजलापूर्ति की समयावधि में करीब आधे घंटे की कटौती शुरू कर दी है। मात्र आधे घंटे में जरूरत के मुताबिक पानी नहीं मिल पा रहा है। इस कारण क्षेत्र में स्थिति गिने-चुने प्राकृतिक जल स्रोतों व हैंडपंपों के समक्ष खाली बर्तनों की लाइन लगने लगी है। पानी जुटाना एक प्रमुख काम हो गया है। उधर ग्रामीण क्षेत्रों में भी गहराने लगा है। कई अन्य जगह भी जल स्रोतों के स्तर में कमी दर्ज हुई है। रानीखेत जल संस्थान के अंतर्गत चमडोली, जाल, छाना भेट, कड़ाकोट, कालिका, नैनी जाना, पीपलटाना आदि गांवों में बनी पेयजल योजनाओं के स्रोतों में करीब 30 फीसदी जल स्तर नीचे गिर गया है। जिससे योजना पूरी सप्लाई नहीं कर पा रही है और इससे गांवों में पेयजल का संकट पैदा हो गया है। लोग दूर-दराज के प्राकृतिक जल स्रोतों की शरण लेकर पानी की जरूरत पूरी कर रहे हैं। दूसरी ओर बिजली की घंटों कटौती से पंपिंग पेयजल योजनाएं प्रभावित हो रही हैं।