Wednesday, 23 May 2012

बंदरों का बढ़ता उत्पात, खेतीबाड़ी चौपट 9266849

चौखुटिया, जाका: तहसील के विभिन्न हिस्सों में बंदरों का उत्पात थमने का नाम नहीं ले रहा है। वर्ष दर वर्ष इनकी बढ़ती तादात काश्तकारों के लिये मुसीबत बनती जा रही है। बंदरों ने गांवों में बागवानी व साग-सब्जी उत्पादन चौपट कर दिया है। वहीं आये दिन लोग अपने नौनिहालों की सुरक्षा को लेकर भी चिंतित हैं। काश्तकारों ने इनसे निजात दिलाने की दिशा में ठोस कदम उठाने की मांग की है।
इन दिनों यहां गेवाड़ घाटी के साथ-साथ तमाम ग्रामीण क्षेत्रों में बागवानी के साथ ही साग-सब्जी उत्पादन हो रहा है। कई हिस्सों में आलू की फसल तैयार है, लेकिन बंदर झुंड के रूप में पहुंच कर सब कुछ तहस-नहस कर दे रहे हैं। साल भर की कमाई पर पानी फिरता देख काश्तकार खासे चिंतित व व्यथित हैं। प्रतिवर्ष बंदरों के नुकसान से परेशान कई क्षेत्रों में तो लोगों ने तो सब्जी उत्पादन करना ही बंद कर दिया है। इससे उन्हें आर्थिक नुकसान हो रहा है।
कहीं-कहीं तो बंदर इतने निडर हो चुके हैं कि भगाने पर लोगों पर झपट जा रहे हैं। क्षेत्र में कई महिलाओं पर भी बंदर वार भी कर चुके हैं। साथ ही इनसे बच्चों के लिये खतरा बना है। ग्रामीण बताते हैं पूर्व में बंदरों की संख्या बहुत कम थी, जो जंगलों तक ही सीमित रहते थे, लेकिन बीते कुछ सालों से बाहर से वाहनों में भरकर बंदरों को पहाड़ में छोड़ दिये जाने से इनकी संख्या असंख्य हो गई है। जो कस्बों व बस्तियों में डेरा जमाए हैं। लोगों का यह भी कहना है कि जंगली जानवरों के बढ़ते नुकसान से गांवों से लोग पलायन को मजबूर हैं।

रानीखेत में बढ़ी पेयजल किल्लत

रानीखेत, जागरण कार्यालय : पानी की समस्या सिर चढ़ कर बोलने लगी है। नगर में कम आपूर्ति से लोग यत्र-तत्र जल स्रोतों व हैंडपंपों की शरण लेने लग हैं। जिस कारण जल स्रोतों व हैंडपंपों पर भीड़ लगनी शुरू हो गई है।
मालूम हो कि नगर को पानी पिलाने वाली देवीढूंगा पेयजल योजना के जल स्रोत में पानी की कमी हो गई। इस स्रोत का जल स्तर 50 प्रतिशत घटने से समस्या उत्पन्न हुई है। छावनी परिषद ने कम उपलब्धता के अनुसार ही पेयजलापूर्ति की समयावधि में करीब आधे घंटे की कटौती शुरू कर दी है। मात्र आधे घंटे में जरूरत के मुताबिक पानी नहीं मिल पा रहा है। इस कारण क्षेत्र में स्थिति गिने-चुने प्राकृतिक जल स्रोतों व हैंडपंपों के समक्ष खाली बर्तनों की लाइन लगने लगी है। पानी जुटाना एक प्रमुख काम हो गया है। उधर ग्रामीण क्षेत्रों में भी गहराने लगा है। कई अन्य जगह भी जल स्रोतों के स्तर में कमी दर्ज हुई है। रानीखेत जल संस्थान के अंतर्गत चमडोली, जाल, छाना भेट, कड़ाकोट, कालिका, नैनी जाना, पीपलटाना आदि गांवों में बनी पेयजल योजनाओं के स्रोतों में करीब 30 फीसदी जल स्तर नीचे गिर गया है। जिससे योजना पूरी सप्लाई नहीं कर पा रही है और इससे गांवों में पेयजल का संकट पैदा हो गया है। लोग दूर-दराज के प्राकृतिक जल स्रोतों की शरण लेकर पानी की जरूरत पूरी कर रहे हैं। दूसरी ओर बिजली की घंटों कटौती से पंपिंग पेयजल योजनाएं प्रभावित हो रही हैं।

Saturday, 19 May 2012

अग्निकांड में गरीबों के सात आशियाने जले


रामनगर : पुराने लालढांग गांव में आग लग गई। इससे गरीबों के सात आशियाने जलकर राख हो गए। एसडीएम और नायब तहसीलदार ने मौका मुआयना कर अग्निकांड की जानकारी ली। हादसे में इन परिवारों का सारा सामान जलकर राख हो गया।
पुराने लालढांग में उर्वाराम उसके भाई दुर्गाराम व उनके चार पुत्रों एवं अन्य महिला तारा देवी की सटी हुई सात झोपडि़यां थी। गुरुवार की प्रात: ग्यारह बजे एक झोपड़ी में आग की लपटें उठने लगी। आग लगने पर झोपडि़यों में रह रहे सभी लोग बाहर आ गए। ग्रामीणों ने तत्काल अग्निशमन कर्मियों को भी इसकी सूचना दी। इस बीच ग्रामीणों ने आग बुझाने का प्रयास किया, लेकिन सफलता नही मिली। इसके बाद पहुंचे दो अग्निशमन कर्मियों ने आग पर काबू पाया। इस बीच झोपड़ियों में रखा अनाज, कपड़े, बर्तन, जेवर उपकरण सब कुछ जलकर राख हो चुका था। सूचना पर एसडीएम अनूप कुमार नौटियाल और नायब तहसीलदार नंदन आर्य भी मौके पर पहुंच गए। एसडीएम नौटियाल ने बताया कि आग लगने से लगभग दस लाख रुपए से अधिक का नुकसान हुआ है। पीडि़त परिवारों को सहायता दिलाने के लिए मुख्यमंत्री को पत्र भेजा जा रहा है। आग लगने के कारणों का पता नहीं चल सका है। उधर ग्रामीणों का कहना है कि जंगल से आई चिंगारी से झोपडि़यां जली है।

कार्बेट में 16 मई से होगी नई भर्ती


सब-मामला न्यायालय में जाने के बाद अभ्यर्थियों में बनी थी असमंजस की स्थिति
रामनगर : कार्बेट टाइगर रिजर्व में रद्द हुई वन आरक्षी की भर्ती फिलहाल नियत तिथि पर ही होगी। विभागीय अधिकारी इसकी तैयारियों में जुटे हुए है।
कार्बेट टाइगर रिजर्व ने वन आरक्षी के 17 पदों के लिए विज्ञप्ति निकाली थी। भर्ती प्रक्रिया के दौरान सीटीआर पर धाधंली के आरोप लग गए थे। आरोपों से बचने के लिए विभाग ने भर्ती प्रक्रिया ही निरस्त कर दी। भर्ती प्रक्रिया में निकले अंतिम 17 अभ्यर्थियों ने इसके विरोध में धरना शुरु कर दिया। इसी बीच सीटीआर ने दुबारा से नई भर्ती की विज्ञप्ति निकाल दी। इस बीच पुरानी भर्ती को बहाल करने और नई भर्ती निरस्त करने को लेकर धरना दे रहे 17 अभ्यर्थियों ने न्यायालय की शरण ले ली। अभ्यर्थियों के मुताबिक फिलहाल नई भर्ती प्रक्रिया निरस्त करने के संबंध में ऐसा कोई फैसला अभी नही आया है। इन सब के बीच नई भर्ती निकलने पर भर्ती का इंतजार कर रहे युवाओं में मामला न्यायालय में जाने के बाद भर्ती होने या न होने को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। सीटीआर के उपनिदेशक सीके कविदयाल ने बताया कि नई भर्ती प्रक्रिया नियत तिथि पर आयोजित की जा रही है। यदि इस बीच नई भर्ती के संबंध में न्यायालय का कोई फैसला आता है, तो उसे पूरी तरह माना जाएगा।
इंसेट...
16 से होगी परीक्षा
रामनगर : विज्ञप्ति के मुताबिक 16 से 18 मई तक शारीरिक एवं अर्हता परीक्षा होगी। इसके बाद चयनित अभ्यर्थियों की 20 मई को लिखित परीक्षा संपन्न होगी। परीक्षा सीटीआर मुख्यालय में संपन्न कराई जाएगी।

समय खत्म होने के बाद पहुंचे परीक्षा देने

हल्द्वानी, जागरण संवाददाता: तीन घंटे की परीक्षा संपन्न हो चुकी थी। छात्र-छात्राएं परीक्षा देकर बाहर जाने लगे। इसके बाद करीब एक दर्जन छात्र-छात्राएं परीक्षा देने एमबी पीजी कालेज पहुंचे। कहने लगे, हमारा पेपर कहां हो रहा है, इन लोगों को जब यह बताया गया कि उक्त पेपर तो हो चुका तो इनके होश ही उड़ गए। हालांकि कालेज प्रशासन ने इसे छात्र-छात्राओं की गलती मानी है।
बुधवार को एमए अंतिम वर्ष इतिहास, समाजशास्त्र व अंग्रेजी विषय के करीब एक दर्जन छात्र-छात्राएं शाम की पाली में परीक्षा देने एमबीपीजी कालेज पहुंचे, जबकि उनकी परीक्षा दूसरी पाली में ही संपन्न हो गई थी। छात्र-छात्राओं का कहना था कि हमें ऐसी ही स्कीम मिली है। उन्होंने प्राचार्य डा. बीसी मेलकानी से मुलाकात की। परीक्षा प्रभारी से भी मिले। इसके बाद भी कोई सुनवाई नहंी हुई। बाद में सभी छात्र-छात्राओं को निराश लौटना पड़ा।
इनसेट:::::::
इन छात्र-छात्राओं ने परीक्षा स्कीम ही ठीक से नहीं देखी होगी। इसमें विश्वविद्यालय स्तर से कोई गलती नहीं हुई होगी, गलती इन छात्रों की है। इसमें कालेज प्रशासन कुछ मदद नहीं कर सकता।

ओ लोंडा मोहना, तेरी केमू वें गाड़ी

चौखुटिया, जागरण कार्यालय: मासी का सात दिवसीय ऐतिहासिक व पौराणिक सोमनाथ मेला शनिवार को समारोह पूर्वक संपन्न हो गया है। इस दौरान लोक कलाकारों के साथ-साथ स्कूली बच्चों ने अपनी कई मोहक प्रस्तुतियों के जरिये दर्शकों की खूब वाहवाही लूटी। समापन पर पारंपरिक लोक कलाकारों एवं क्षेत्र के अनेक पूर्व सैनिकों को मेला समिति की ओर से पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित भी किया गया।
कुमाऊं के प्रमुख मेलों में शुमार मासी का सात दिवसीय सोमनाथ मेला इस वर्ष गत 6 मई से शुरू हुआ तथा इसी दिन मासी बाजार में परे रात भर सल्टिया मेला लगा। दो आलों द्वारा ओड़ा भेंटने की रस्म के साथ मुख्य मेला 7 मई को संपन्न हुआ। इसके साथ ही सरस्वती शिशु मंदिर परिसर में बने पंडाल में प्रतिदिन सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रृंखला चलती रही। आज सायं मेला का विविध रंगारंग-सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ ही समापन हो गया। इस दौरान झनकार सांस्कृतिक मंच सैंणखरई-बागेश्वर के कलाकारों के साथ-साथ रामगंगा वैली स्कूल एवं राबाइंका मासी के बच्चों के कार्यक्रमों की धूम खूब रही। मंच के कलाकारों की युगल छपेली गीत नृत्य-ओ लोंडा मोहना, तेरी केमू वें गाड़ी एवं नान स्टाप रंगोली गीत की प्रस्तुति ने काफी रंग जमाया। साथ ही मासी को बाजारा..गीत ने भी वाहवाही लूटी।
समारोह में रागगंगा वैली स्कूल के नन्हीं छात्राओं ने धार्मिक गीत के बोल पर आधारित नृत्य प्रस्तुति काफी सराही गई। जबकि राबाइंका मासी की छात्राओं ने भी मोहक कार्यक्रम पेश किये। झनकार मंच के कलाकारों का नेतृत्व पूजा मेहरा ने किया। मंच संचालन गोपाल मासीवाल द्वारा किया गया। इस अवसर पर महेश वर्मा, अध्यक्ष गजेन्द्र बिष्ट, तारा दत्त शर्मा, चंद्र प्रकाश, विनोद मासीवाल, अर्जुन सिंह, रंगकर्मी जसी राम आर्य, गोपाल सिंह, सुभाष बिष्ट, जीवन लाल, संजय साह, हीरा बल्लभ, कांता रावत, व प्रेमा देवतला आदि मौजूद थे।

पहाड़ में बदल गए 'नशा नहीं रोजगार दो' के मायने

अल्मोड़ा/ बागेश्वर, जाका: एक दौर था जब महिला गृहस्थी बचाने को शराब के खिलाफ सड़क पर उतर पड़ती थी। मगर अब यही 'अबला' सगे-संबंधियों के शराब व्यवसाय को बचाने के लिए इस्तेमाल होने लगी है। कहना गलत न होगा कि पहाड़ में मदिरा के ठेके हासिल करने के लिए 'महिला' को ढाल बनाने का चलन तेजी से बढ़ रहा है। वहीं गृहणी की मौन स्वीकृति से 'नशा नहीं रोजगार दो' के मायने भी बदलने लगे हैं। अबकी अल्मोड़ा में 98 तो बागेश्वर में 17 महिलाओं के नाम पर लॉटरी डाली गई हैं, जो बीते वर्ष की तुलना में अधिक हैं।
दरअसल, पर्वतीय अंचल में शराब को अभिशाप माना जाता रहा है। आय के स्रोत कम होने के बावजूद तमाम लोग मदिरा की लत में उजड़ चुके हैं। पहाड़ में बढ़ते अपराध व परिवारों में दरार के लिए भी काफी हद तक शराब ही जिम्मेदार रही है। यही वजह है, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, बागेश्वर व चंपावत जिले में समय-समय पर मातृशक्ति ने शराब के खिलाफ न केवल अभियान छेड़ा बल्कि सफल भी रहीं।
मगर व्यवसाय का रूप ले चुका शराब कारोबार व ठेके हासिल करने की होड़ में महिलाओं को इस्तेमाल करने का चलन बढ़ने लगा है। जिला आबकारी अधिकारी कार्यालय के अनुसार अल्मोड़ा में इस बार 62 विदेशी व 34 देसी शराब की दुकानों के लिए कुल 98 महिलाओं के नाम की लॉटरी डाली गई हैं। बीते वर्ष यह संख्या कम थी। उधर बागेश्वर में अबकी 17 महिलाओं के नाम का सहारा लिया गया है। पिछले साल यही संख्या 14 थी।
महिलाओं को कमजोर करने की साजिश: राधा बहन
अल्मोड़ा: शराब के खिलाफ आंदोलन चलाने वाली पर्यावरणविद् राधा बहन ने कहा, महिलाओं का नाम शराब कारोबार में घसीटना मानवाधिकार हनन है। महिलाएं शराब के लिए पहले भी लड़ती रहीं, आज भी लड़ रही हैं और आगे भी व्यवस्था न बदलने तक जंग जारी रहेगी।
राधा बहन ने कहा, 1966 में गरुड़ बागेश्वर से शराब के खिलाफ उन्होंने आवाज बुलंद की तो संकोची महिलाएं धीरे-धीरे सड़क पर उतर आई थीं। दशक तक चला आंदोलन गरुड़, थल, पिथौरागढ़, चमोली, टिहरी आदि कई जगहों पर सफल रहा। गांवों में कई दुकानें बंद कराई गई। ये महिलाओं का पुरुषार्थ था। बाद में तत्कालीन यूपी के मुख्यमंत्री ने पहाड़ में शराब से बंदी हटाने का निर्देश दिया। इसके बावजूद नशा नहीं रोजगार दो आंदोलन मजबूती से खड़ा है। उन्होंने कहा, गरीबों की जेब से आखिरी पैसा खींचने के लिए महिलाओं का नाम डालना साजिश है और अपराध भी। महिलाओं को इसका विरोध करना चाहिए।
शराब ठेका तो व्यवसाय है। महिला कब तक अबला रहेगी। लॉटरी डाली जा रही है तो क्या बुरा है। बीते वर्ष जालली व भैंसियाछाना की अंग्रेजी वाइन शॉप दो महिलाओं के नाम पर छूटीं। जनजातीय क्षेत्रों में तो महिलाएं खुद शराब बनाकर आजीविका चला रही हैं।

Thursday, 10 May 2012

आल्टो खाई में गिरी, पति पत्‍‌नी घाय


दन्या (अल्मोडा) : धौलादेवी के पास सोनाली मोड़ पर एक आल्टो कार रविवार की सांय दुर्घटना ग्रस्त हो गई। जिसमें सवार दंपत्ति घायल हो गए हैं।
घायलों को तहसीलदार भनौली के वाहन द्वारा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र धौलादेवी में भर्ती कराया गया है। जहां उनकी हालत खतरे से बाहर बताई गई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार हल्द्वानी से दन्या आ रही आल्टो कार संख्या यूए 05-374 धौलादेवी के पास सोनाली मोड़ पर अनियंत्रित होकर तीस फिट गहरी खाई में जा गिरी। वाहन में सवार महेश चंद्र पांडे (50) निवासी डणाऊ, दन्या अपनी पत्‍‌नी सुशीला पांडे (45) के साथ एक विवाह समारोह में भाग लेने जा रहे थे। इस दुर्घटना में दंपत्ति को हल्की चोटें आई हैं। उन्हें उपचार के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र धौलादेवी में भर्ती कराया गया है। घायल महेश पांडे हल्द्वानी में लोक निर्माण विभाग हल्द्वानी में सहायक अभियंता के पद पर कार्यरत हैं। पांडे स्वयं ही कार चला रहे थे। दुर्घटना की सूचना पाते ही तहसीलदार अनिल चन्याल मौके पर पहुंचे। इलाज कर रहे चिकित्सक डा. बीबी जोशी ने बताया कि घायलों की हालत खतरे से बाहर है।

मुख्यमंत्री आज अल्मोड़ा 

अल्मोड़ा : सूबे के मुखिया विजय बहुगुणा गुरुवार को प्रात: 10 बजकर 10 मिनट पर अल्मोड़ा आर्मी हैलीपैड पर उतरेंगे। 10.30 से 12 बजे तक कार्यकर्ताओं से भेंट करेंगे। 12 से 1 बजे तक सर्किट हाउस में अधिकारियों के साथ विकास कार्याें की समीक्षा करेंगे। 1 से 2:15 तक का समय आरक्षित रखा गया है। 2:15 मिनट से 2:30 तक पत्रकारों से वार्ता तथा 2:30 से 2:50 मिनट तक विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों से मुलाकात करेंगे। 3 बजे देहरादून के लिए हैलीकाप्टर से रवाना होंगे।

दो भाइयों में खूनी संघर्ष, एक की मौत


-भूमि विवाद पर छिड़ी बहस ने बनाया जानी दुश्मन
-लाठी-डंडे चले, छोटे ने बड़े को पीट-पीट कर अधमरा किया
-रामनगर में उपचार के दौरान तोड़ दिया दम
-सल्ट के अतिदुर्गम बसौली गांव में वारदात
::::::दहशत:::::
मौलेखाल सल्ट (अल्मोड़ा): भूमि के मसले पर दो भाइयों में छिड़ा विवाद खूनी संघर्ष में तब्दील हो गया। माहौल बिगड़ा तो दोनों में जमकर लाठी-डंडे चले। इस दौरान छोटे ने बड़े भाई पर ताबड़तोड़ प्रहार कर डाले। लहुलूहान ग्रामीण को गंभीर हालत में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से रामनगर (नैनीताल) रेफर किया गया, जहां तड़के उसकी मौत हो गई। अलबत्ता हमलावर की गिरफ्तारी तो दूर उसके खिलाफ मुकदमा भी दायर नहीं किया गया है।
यह सनसनीखेज वाकया सल्ट क्षेत्र के अतिदुर्गम ग्राम बसौली का है। बताते हैं कि गांव के नर राम (46) का जमीन संबंधी मसले पर अपने छोटे भाई मदन राम से तकरार हो गई थी। मनमुटाव इतना बढ़ गया कि सगे भाई एक-दूसरे के खूने के प्यासे बन बैठे। मामला गरमाने पर मंगलवार की रात उनमें हाथापाई हो गई। देखते ही देखते दोनों के बीच लाठी-डंडे चल गए।
ग्रामीणों के अनुसार परिजनों ने बीचबचाव का प्रयास भी किया लेकिन दोनों इतने उग्र हो चुके थे कि कोई भी पास फटकने की हिम्मत नहीं जुटा सका। इसी दरमियान मौका पाकर मदन राम ने बड़े भाई नरराम बेरहमी से लाठियां बरसानी शुरु कर दीं। बचाव की मुद्रा में आने के बावजूद मदन को भाई पर तरस नहीं आया। वह उसे तब तक पीटता रहा जब तक वह लहुलूहान होकर जमीन पर गिर न पड़ा।
डरे-सहमे ग्रामीणों ने तत्काल पुलिस व इमरजेंसी 108 सेवा को बुलवाया। घायल नरराम को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र देवायल ले जाया गया। हालत गंभीर देख उसे रामनगर (नैनीताल) रेफर किया गया। बुधवार को तड़के करीब 4:00 बजे जख्मी नरराम ने दम तोड़ दिया। इससे परिजनों में कोहराम मच गया। इधर आरोपी मदन की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है। पुलिस ने कहा कि तहरीर के आधार पर ही मुकदमा कायम किया जाएगा।

जेठ की दुपहरी ने छुड़ाए पसीने


हरिद्वार, जागरण संवाददाता: जेठ का महीना लगते ही सूरज की तपिश बढ़ गई है। पारा 40 के करीब पहुंचने को है। लू के थपेड़ों ने जनजीवन पर असर डालना शुरू कर दिया है। शहर में दोपहर के समय सड़कें सूनी होने लगी है। गर्मी से राहत पाने के लिए गंगा लोगों का सहारा बनी हुई है।
धर्मनगरी में इन दिनों तन झुलसाने वाली गर्मी पड़ रही है। पिछले एक सप्ताह से पारा 35 डिग्री से ऊपर चल रहा था। सोमवार जेठ का महीना शुरू हो गया, जेठ की गर्मी अब अपना असर दिखाने लगा है। मंगलवार को अधिकतम पारा दो डिग्री तक उछलकर 38.3 पहुंच गया था। बुधवार को तापमान 39.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। गर्मी का असर बढ़ने से शहरवासी खासे परेशान हैं। सूरज की तपिश शरीर को झुलसाने लगी है। पंखे-कूलर से भी राहत नहीं मिल पा रही है। दोपहर होते ही गली मोहल्लों और बाजारों में सन्नाटा पसर रहा है। तपिश मिटाने को लोग हरकी पैड़ी समेत तमाम गंगा घाटों पर डुबकी लगा रहे हैं। नहर और रजवाहों में भी बच्चों को अठखेलियां करते देखा जा सकता है। शीतल पेय पदार्थो की डिमांड भी बढ़ गई है। गला तर करने को लोग गन्ने और बेल का रस ज्यादा पसंद कर रहे हैं। नींबू पानी, कोल्ड ड्रिंक्स, लस्सी, शिकंजी आदि की डिमांड भी बढ़ गई है।

नौकरी यूपी की आवास उत्तराखंड का

हरिद्वार, जागरण संवाददाता: यूपी के लिए कार्यमुक्त होने के बावजूद स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी उत्तराखंड के आवासों से कब्जे नहीं छोड़ रहे हैं। आधा दर्जन कर्मियों ने अनधिकृत तौर पर सरकारी आवासों पर कब्जा किया है। विभाग ने इन्हें नोटिस जारी कर आवास खाली करने को कहा है।
यूपी में नौकरी कर रहे स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों का उत्तराखंड के सरकारी आवासों से मोह नहीं छूट रहा है। कार्यमुक्त हो चुके कर्मचारी तो सरकारी आवासों में जमे हैं, जबकि उनकी जगह आए कर्मचारी प्राइवेट मकानों में रहने को मजबूर हैं। अधिकांश कर्मचारी छह माह से ज्यादा समय पहले ही यूपी के लिए कार्यमुक्त हो चुके हैं। इसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग उनसे आवास खाली नहीं करा पा रहा है। कई कर्मचारियों के तो अपने निजी आवास भी हरिद्वार में हैं। अब स्वास्थ्य विभाग ने आवासों पर कब्जा जमाए छह लोगों को नोटिस जारी किए हैं। इसमें जिला अस्पताल के पूर्व सीएमएस व बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. पीके भटनागर, रोडियोलॉजिस्ट डॉ. मनीष दत्त, लैब टैक्नीशियन जेपी चाहर, लैब टैक्नीशियन शुरपति नाथ, कनिष्ठ सहायक नीरज कुमार गुप्ता, फार्मासिस्ट वीपी गुप्ता शामिल हैं। डॉ. मनीष दत्त का चार माह पहले उत्तरकाशी ट्रांसफर हो चुका है। शेष पांच यूपी विकल्पधारी थे, जिन्हें कार्यमुक्त कर दिया है। नोटिस के बाद विभाग आवास खाली कराने की तैयारी में है। जिला चिकित्सालय के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एएस रावत ने बताया कि पहला नोटिस जारी किया जा चुका है। उसके बाद भी आवास खाली नहीं हुए तो प्रशासन के सहयोग से जबरन आवास खाली कराए जाएंगे। उन्होंने कहा कि कई कर्मियों को किराए के आवासों में रहना पड़ रहा है, जबकि कार्यमुक्त हो चुके लोग अब भी आवासों में जमे हैं।

साहब! लूट रहे हैं पब्लिक स्कूल वाले

अल्मोड़ा, जाका: पब्लिक स्कूलों पर मनमानी फीस वसूलने की तोहमत मढ़ते हुए अभिभावक लामबंद हो गए हैं। डीएम के समक्ष उन्होंने व्यथा सुनाते हुए कहा कि प्रबंधन पाठ्य सामग्री, ड्रेस व किताबें स्कूल से ही खरीदने का दबाव बनाते हैं, जो बाजार से कहीं अधिक महंगे पड़ते हैं। यह भी आरोप लगाया कि कई विद्यालयों में मानकों के उलट मैदान व अन्य व्यवस्थाएं भी नहीं हैं।
अभिभावकों का शिष्टमंडल सोमवार को कलक्ट्रेट पहुंचा और डीएम अक्षत गुप्ता को शिकायती पत्र सौंपा। उनका कहना था कि गुणवत्तायुक्त शिक्षा की लालसा में ही वे बच्चों को अच्छे पब्लिक स्कूलों में पढ़ा रहे हैं। मगर अनियमित खर्च के साथ ही शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा है। अभिभावकों में इस बात को लेकर भी कड़ी नाराजगी थी कि मासिक शुल्क विभिन्न स्कूलों में अलग-अलग व खासा महंगा है। एक से दूसरी कक्षा में दाखिले के नाम पर रिएडमिशन फीस लिए जाने का पुरजोर विरोध करते हुए कहा कि अधिसंख्य स्कूलों में मैदान तक नहीं है। यह मानकों का खुला उल्लंघन है। डीएम ने इस पर कड़े कदम उठाए जाने का भरोसा दिलाया।
इस मौके पर मनोज सनवाल, दीप सिंह डांगी, कुंदन सिंह लटवाल, ललित बिष्ट, जितेंद्र मेहता, मुरलीधर मिश्रा, चिरंजीवी वर्मा, अब्दुल नदीम अंसारी, नूर करम खान, मो.अनीस अंसारी, आमीर खान, मो.सलीम अंसारी, मनोज गुप्ता, विजय कुमार सिंह आदि थे।

पेयजल किल्लत से लोग परेशान

दन्यां, जागरण कार्यालय: विकास खंड लमगड़ा के अन्तर्गत बसंतपुर क्षेत्र के दर्जनों गांवों में पेयजल किल्लत से सैकड़ों परिवार परेशान हैं। पीने के लिए लोग कई किमी दूर गाड़-गधेरों से दूषित पानी ढो रहे हैं। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अन्तर्गत बन रही साजा-फटक्वाल डुंगरा सड़क के कटान से पेयजल योजना ध्वस्त हो चुकी है। अभी तक क्षतिग्रस्त पेयजल लाइन की मरम्मत न किये जाने से गर्मी के सीजन से क्षेत्र में पीने के पानी के लिए त्राहि-त्राहि मची हुई है। क्षेत्र के लोगों ने जिलाधिकारी अल्मोड़ा को ज्ञापन प्रेषित करते हुए बसंतपुर, बडियार बिष्ट, बडियार रैत सहित दर्जनों गांवों को लाभान्वित करने वाली बडियार बिष्ट, टिकर और धारीगाड़ देवली पेयजल योजना की मरम्मत किये जाने की मांग की है।
दूषित पानी से डायरिया फैलने का खतरा
दन्यां: गाड़-गधेरों का दूषित पानी अनेक जानलेवा बीमारियों को फैलाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति बाधित होने से लोग गधेरों का दूषित पानी पी रहे हैं जिससे बीमारियों का खतरा बना रहता है। पांच वर्ष पूर्व सिरौला व बेलक गांवों में दूषित पानी के सेवन से डायरिया का प्रकोप इस कदर फैला कि आधा दर्जन लोग अकाल मौत के ग्रास बन गये थे। वैज्ञानिकों की जांच में बीमारी फैलने का मुख्य कारण गधेरों का दूषित पीना बताया है। बसंतपुर क्षेत्र के लोगों ने विभाग से ग्रामीणों को दूषित पानी के सेवन से निजात दिलाने के लिए तीनों क्षतिग्रस्त योजनाओं की तत्काल मरम्मत किये जाने की मांग की है।

Wednesday, 2 May 2012

New Ads











Uttrakhand News

ओखलकांडा के दिगौली गांव में गुलदार की दहशत

भीमताल। सुदूरवर्ती ओखलकांडा ब्लाक के दिगौली गांव में हफ्ते भर से गुलदार के आतंक के चलते ग्रामीण दहशत में हैं। हफ्ते भर के भीतर ही गुलदार गांव के दस मवेशियों को अपना निवाला बना चुका है।
दिगौली गांव के पूर्व प्रधान दिनेश भट्ट ने बताया कि गुलदार के आतंक के चलते ग्रामीण मवेशियों को चरने के लिए जंगल की ओर नहीं छोड़ रहे हैं और शाम होते ही अधिकांश ग्रामीण घरों में कैद हो जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि वन विभाग के अधिकारियों से कई बार गुलदार को पकड़ने के लिए पिंजरा लगाने की मांग की जा चुकी है लेकिन अभी तक इस संबंध में विभागीय स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। भट्ट ने जिला प्रशासन और वन विभाग के अधिकारियों से गुलदार से ग्रामीणों और उनके मवेशियों की सुरक्षा की मांग की है।

बस बोझ उठाओ, पैसा पाओ

हल्द्वानी। आंखों में पढ़लिखकर अच्छा अफसर बनने की ललक और बचपन बोझ तले। जिन कोमल कंधों पर किताबों का बस्ता होना चाहिए, वो सौ रुपये कमाने के लिए छह घंटे तक आठ किलो वजन उठाते हैं। दर्द हो तो चुप रहना है, क्योंकि यहां काम के पैसे मिलते हैं दर्द के नहीं। एक मई हिंदुस्तान के मजदूर वर्ग का दिन है लेकिन अमरपाल और बबलू जब मजदूरों की श्रेणी में ही नहीं तो फिर उनके लिए किस बात का लेबर डे। रही बात बाल श्रम कानून की तो इस कानून को देखने वाला यहां कोई नहीं। इसलिए बस बोझ उठाओ, पैसा पाओ, परिवार का हाथ बंटाओ, खाने का क्या है, वो तो बारात में मिल जाएगा।
हल्द्वानी में जजी रोड के पास रहने वाले दस साल के अमरपाल और 12 वर्ष के बबलू का बचपन बारातों में आठ किलो वजनी गमले के आकार की लाइट उठाने में बीतता है। जब दोनों मासूमों से बात की गई तो अमरपाल बोला मैं पढ़ना चाहता हूं। मेरी अफसर बनने की तमन्ना है। उसने कक्षा तीन तक पढ़ाई भी की है, पर परिवार की आर्थिक तंगी के चलते मां-बाप उसे आगे की पढ़ाई के लिए स्कूल नहीं भेज सके। बबलू ने स्कूल और किताबों का आज तक मुंह नहीं देखा, मगर यह बालक कहता है स्कूल जाकर किताब देख कुछ सीखना चाहता हूं।
मेरा अरमान है पढ़ाई करूं और भविष्य के सपनों को उड़ान दूं, पर मजबूरियों ने हमारे कंधों पर बोझ थोप दिया है। सहालग का सीजन शुरू होते ही ये बच्चे बैंड वालों के पास पहुंच जाते हैं और काम का दाम सौ रुपये तय होता है। बोझ उठाने की शुरुआत तब होती है, जब अंधेरा हो जाए लेकिन अमरपाल और बबलू दोपहर तीन बजे से बैंड वालों की दुकान में डेरा डाल देते हैं। बारात के विवाह स्थल पहुंचने तक ये लाइट उठाते हैं और रोजाना कम से कम 800 मीटर से एक किलोमीटर की दूरी नापते हैं। रात में बारात का खाना खाया और फिर दौड़ लगाई घर को। भविष्य के ख्वाबों को साकार करने की कहीं से उम्मीद नजर नहीं आने के कारण आज बाल्यावस्था में ही लेबरी इन दो मासूमों की नियति बन चुकी है। ऐसे न जाने कितने अमरपाल और बबलू होंगे, जिनके सपने साकार होने से पहले ही पारिवारिक बदहाली के कारण बिखर जाते हैं। क्या ये मासूम शिक्षा का अधिकार अधिनियम की श्रेणी में नहीं। क्या इनके सपनों को देगा कोई पंख।

बीएससी के पेपर में प्रश्न के साथ उत्तर भी

हल्द्वानी। कुमाऊं विश्वविद्यालय की मुख्य परीक्षाओं में इस बार प्रश्नपत्रों में तरह - तरह की त्रुटियां सामने आ रही हैं। अब प्रश्न के साथ उसका उत्तर भी लिखकर आ रहा है।
एमबीपीजी कालेज में दूसरी पाली में मंगलवार को बीएससी तृतीय वर्ष के विद्यार्थियों की जंतु विज्ञान विषय के द्वितीय प्रश्नपत्र की परीक्षा थी। परीक्षार्थियों ने प्रश्नपत्र पढ़ा तो वह पेपर में बहुविकल्पीय प्रश्न संख्या एक के छठे सवाल को देखकर चौंक गए। इस सवाल में पूछा गया था कि ईथालॉजी शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग किया? इसके उत्तर के विकल्प के रूप में जीएस हिलेरी, अरस्तू, निका टिनबरजन ने, कार्ल वॉन फ्रि श ने। लेकिन छात्रों को इस सवाल का उत्तर ढूंढने में दिमाग नहीं लगाना पढ़ा क्योंकि अंग्रेजी में लिखे सवाल के साथ ही इसका उत्तर द वर्ल्ड ईथोलॉजी वास यूजड वाई जीएस हिलेरी छपा हुआ था। सवाल का उत्तर प्रश्न के साथ लिखा देख परीक्षार्थियों ने उसका उत्तर भी आसानी से उत्तर पुस्तिका में लिख दिया। परीक्षार्थियों ने प्रश्नपत्र में इस खामी के बारे में कक्ष परीक्षकों को भी बताया। जिस पर उन्होंने भी सवाल से ही उत्तर लिखने की सहमति दे दी। इधर, प्रश्नपत्र में इस खामी के बारे में कुलसचिव से बात करने की कोशिश की गई लेकिन उनसे मोबाइल पर संपर्क नहीं हो सका। मालूम रहे कि इससे पूर्व भी बीए राजनीतिशास्त्र के प्रश्नपत्रों में खामी का मामला सामने आ चुका है।