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Chopta, Uttrakhand |
उत्तराखंड का एक छोटा व बेहद खूबसूरत हिल स्टेशन हैचोपता , जो अपनी हसीं वादियों की खुली बाहों से आनेवालों का स्वागत करता है। वैसे , इसके सत्कार में नेचरलब्यूटी और एडवेंचर का जबर्दस्त पैकेज है। तो जानते हैं ,इसके बारे में :
अगर आप भीड़भाड़ से दूर किसी ऐसे हिल स्टेशन परजाना जाते हैं , जहां आपको शांति व सुकून मिल पाए , तोचोपता आपके लिए सबसे मुनासिब मुकाम है। घने जंगलसे घिरी यह जगह समुद्रतल से 12 हजार फुट की ऊंचाईपर उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है।
बेहद खूबसूरत होने के बावजूद इस जगह को टूरिस्टों नेज्यादा एक्सप्लोर नहीं किया है। वैसे , यहीं से तुंगनाथ औरचंद्रशिला के लिए पैदल यात्रा शुरू होती है। चोपता सेहिमालय की नंदा देवी , त्रिशूल और चौखंबा पहाड़ियां बेहद खूबसूरत दिखाई देती हैं।
कुदरत का साथ
चोपता में आपको कुदरती खूबसूरती की कई चीजें एक ही जगह पर मिलेंगी। छोटे - बड़े झरने , कम दिखने वालेजानवर , फूलों की वैराइटी , कोहरे में लिपटी ऊंची - नीची पहाडि़यां और मीलों तक फैले घास के मैदान। पहलीनजर में सारा नजारा आपको बुलाता - सा लगता है। वैसे , बुरांश और बांस के पेड़ों के बीच से गुजरते हुए कईतरह के पक्षियों की आवाजें सुनकर आपको ऐसे लगेगा , जैसे वे आपसे ही अपनी आवाज में बातें कर रहे हैं।
बुग्याल की दुनिया
जनवरी - फरवरी में तो यह जगह बर्फ से ढक जाती है , लेकिन जुलाई - अगस्त में यहां की खूबसूरती देखते हीबनती है। इन महीनों में यहां मीलों तक फैले घास के मैदान और डिफरेंट वैराइटी के फूलों की सुंदरता देखते हीबनती है। खास बात यह है कि पूरे गढ़वाल एरिया में यह अकेली ऐसी जगह है , जहां बस से उतरते ही आपबुग्यालों की दुनिया की देख सकते हैं।
एक अलग सुबह
चोपता की हर सुबह एक अलग ही नजारा लेकर आती है। सूर्य की किरणें जब हिमालय की चोटियों पर पड़ती हैं ,तो ऐसा लगता है कि कुदरत अपनी खुशी शेयर करना चाहती है। सूरज के चढ़ने के साथ पहाड़ियों का पल - पलबदलता नजारा वाकई खूबसूरत लगता है।
तुंगनाथ मंदिर
चोपता से तीन किलोमीटर की पैदल यात्रा के बाद 13 हजार फीट की ऊंचाई पर तुंगनाथ मंदिर है। तुंगनाथ हिलपर बना यह मंदिर एक हजार साल पुराना माना जाता है और यहां भगवान शिव के पांच केदारों में से एक कीपूजा होती है।
एक पौराणिक कहानी के मुताबिक , इस मंदिर का निर्माण पांडवों द्वारा भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिएकिया गया था , जो कुरुक्षेत्र में हुए नरसंहार के कारण पांडवों से नाराज थे। तुंगनाथ जाने के लिए घोड़ों की भीसुविधा आपको मिल जाएगी। रास्ते में कई ढाबे हैं , जहां पर चाय पानी का इंतजाम रहता है। आधे रास्ते कीचढ़ाई चढ़ने के बाद आपको यहां पर बस घास के मैदान ही नजर आएंगे।
यहां जाने के लिए मई से नवंबर तक का समय मुफीद है। हालांकि अगर बर्फ का मजा लेना चाहते हैं , तो उसकेलिए जनवरी से फरवरी में यहां जाया जा सकता है।
चंद्रशिला चोटी
तुंगनाथ से तकरीबन दो किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई के बाद 14 हजार फीट पर चंद्रशिला चोटी है। यहां केवलपैदल ही जाया जा सकता है। यहां से हिमालय इतना नजदीक है कि लगता है मानो उसे छू ही लेंगे। वैसे , यहजगह इतनी ऊंचाई पर है कि यहां ऑक्सिजन की कमी भी महसूस होगी।
देवहरिया ताल
चोपता से तकरीबन आठ किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद देवहरिया ताल पहुंचा जा सकता है , जो तुंगनाथमंदिर के नॉर्थ साइड में है। इस ताल की खासियत यह है कि यहां आप चौखंभा , नीलकंठ आदि बर्फ से ढकीचोटियों की इमेज देख सकते हैं। यह ताल 500 मीटर की रेंज में फैला हुआ है। इसके एक तरफ बांस व बुरांश केजंगल और दूसरी तरफ खुला मैदान है।
ना भूलें वूलंस
मौसम चाहे गर्मी का ही क्यों न हो , यहां हमेशा ऊनी कपड़े लेकर जाना जरूरी है।
कहां ठहरें
यहां रुकने के लिए आपको गेस्ट हाउस और रिसॉर्ट , दोनों के ऑप्शन मिलेंगे। खाने व दूसरी सुविधाओं के अलावायहां आपको रॉक क्लाबिंग , ट्रैकिंग , योगा सेनेटरी प्रोग्राम , कैंपिंग , रॉक क्लाइंबिंग , क्लिप क्लाइंबिंग , रैपलिंग, राफ्टिंग वगैरह की फैसिलिटी भी मिलेगी।
कैसे पहुंचें
चोपता दिल्ली से 440 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां पहुंचने के लिए नजदीकी एयरपोर्ट जौलीग्रांट है ,जो यहां से 221 किलोमीटर दूर है। जौलीग्रांट दिल्ली से डेली फ्लाइट्स से जुड़ा हुआ है। यहां से आप ऋषिकेशहोते हुए गोपेश्वर पहुंच जाएं। गोपेश्वर से चोपता 40 किलोमीटर आगे है।
- चोपता का नजदीकी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है। यह चोपता से 202 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बस औरटैक्सी से यहां तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। यहां के लिए जीप भी बुक कराई जा सकती है।
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